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बालासोर रेल हादसा : रेलवे बोर्ड ने बताई ट्रेन हादसे की पूरी कहानी, पढ़ें कैसे हुआ हादसा और अब हैं क्या हालात

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ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए रेल हादसे की भयावह तस्वीरें आज भी लोगों को डरा रही हैं। इस बीच रेलवे बोर्ड ने प्रेंस कॉन्फ्रेंस की। ओडिशा चीफ सेक्रेटरी प्रदीप जेना ने बताया कि हादसे में 288 नहीं, बल्कि 275 लोगों की मौत हुई है। कुछ शव दो बार गिन लिए गए थे। हादसे में 1100 से ज्यादा लोग घायल हैं। इससे पहले हादसे के करीब 39 घंटे बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हादसे की वजह बताई थी। उन्होंने कहा था कि यह हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुआ। हमने जिम्मेदारों की भी पहचान कर ली है। रेल मंत्री ने कवच सिस्टम की गैरमौजूदगी को हादसे की वजह नहीं बताया था।

दोनों ट्रेनों की रफ्तार पर कही यह बात
रेलवे बोर्ड की ओर से बताया गया कि सिग्नल के साथ समस्या थी। कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकराई थी, एस वक्त उसकी 128 किमी/घंटा थी। इसके अलावा हादसे की शिकार दूसरी ट्रेन यशवंतपुर एक्सप्रेस की रफ्तार 126 किमी/घंटा थी। इन ट्रेनों की अधिकतम गति सीमा 130 किमी/घंटा थी। ऐसे में ओवरस्पीडिंग का कोई मामला नहीं बनता।

दोनों ओर की लूप लाइन पर खड़ी थीं मालगाड़ियां
रेलवे बोर्ड ने प्रेस कॉन्फेंस में बताया कि प्रारंभिक जांच में सिग्नल के साथ कुछ समस्या पाई गई है। आगे की जांच जारी है। लूप लाइन पर मालगाड़ी खड़ी थी। हादसे के वक्त कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार 128 किमी प्रति घंटा थी। यशवंतपुर एक्सप्रेस ट्रेन भी 126 किमी. की स्पीड से आ रही थी। इस दौरान कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकरा गई। उन्होंने बताया कि मालगाड़ी में लोहा लदा हुआ था। इस वजह से मालगाड़ी के डिब्बे अपनी जगह से हिले भी नहीं और यही कारण है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के यात्रियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। रेलवे बोर्ड ने कहा कि इस दौरान यशवंतपुर एक्सप्रेस वहां से गुजर रही थी। टक्कर के बाद पटरी से उतरे कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे यशवंतपुर एक्सप्रेस के पीछे के दो डिब्बों से टकरा गए। इस वजह से यशवंतपुर एक्सप्रेस के डिब्बे भी पटरी से उतर गए।

सिग्नल में गड़बड़ी का किया जिक्र
जया वर्मा सिन्हा, सदस्य संचालन व्यवसाय विकास ने बताया कि रेलवे ने हादसे के बाद सबसे पहले राहत और बचाव कार्य किया, उसके बाद मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। बहानागा स्टेशन पर 4 लाइने हैं। इसमें 2 मेन लाइन है। लूप लाइन पर मालगाड़ी थी। स्टेशन पर ड्राइवर को ग्रीन सिग्नल मिला था। दोनों गाड़ियां अपने पूरे गति पर चल रही थी। प्रारंभिक जांच में लग रहा है कि सिग्नल में गड़बड़ी हुई है। घटना की चपेट में सिर्फ कोरोमंडल आई थी।

उन्होंने बताया कि हमारा हेल्पलाइन नंबर 139 उपलब्ध है। यह कॉल सेंटर नंबर नहीं है, हमारे वरिष्ठ अधिकारी कॉल का जवाब दे रहे हैं और हम अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। घायल या मृतक के परिवार के सदस्य हमें कॉल कर सकते हैं।

गृह मंत्रालय से मदद ले रहे, NIA से नहीं: रेलवे बोर्ड
जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि शाम के करीब 8 बजे तक 2 लाइनें हमें मिल जाएंगी, जिस पर गाड़ी धीमी गति से निकलनी शुरू हो जाएगी। मामले की जांच चल रही है। प्रथम दृष्टया लगता है कि सिग्नल के कारण कोई समस्या हुई होगी। उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय से मदद ली जा रही है, एनआईए से नहीं।

कवच पर कही यह बात
उन्होंने बताया कि कवच भारत में बनाया गया सिस्टम है। आने वाले भविष्य में हम इसका निर्यात भी कर सकेंगे। ये रेल की सुरक्षा से संबंधित है, इसलिए हमने इसकी कड़ी टेस्टिंग की है। रेल मंत्री ने खुद ट्रेन में बैठ कर इसकी जांच की है। इस यंत्र को सभी लाइनों और ट्रेनों में लगाने में समय और पैसा लगेगा।